दिल्ली / पहले से ही भीखमंगे की तरह जी रहे पाकिस्तान के लिए आने वाले दिन और खराब होने वाले हैं। दवाइयों से लेकर खाद्यान्न तक की कीमतें आसमान छूने वाली हैं, वही कमाई के गिने- चुने स्रोत भी सूखते जा रहे हैं। भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करने वाले पाकिस्तान को अंदाजा नहीं था कि आगे क्या होगा। उसे लगा कि भारत की परेशानियां बढेंगी। लेकिन अब जिस तरह, एक के बाद एक, तमाम विदेशी एयरलाइंस पाकिस्तान के उपर से अपने विमान ले जाने से कतरा रही हैं, उससे पाकिस्तान को बड़ा धक्का लगने वाला है। कोई विमान किसी देश के एयरस्पेस में कितनी देर तक रहता है, कितनी दूरी तय करता है, किस साइज का है, इसके आधार पर उस देश को ठीक- ठाक विदेशी मु्द्रा हासिल होती है। पाकिस्तान का अपना विदेशी मुद्रा भंडार दो महीने का भी इंपोर्ट लोड नहीं ले सकता, उसमें इस तरह की चोट बहुत भारी पड़ रही है। यही नहीं, पाकिस्तान में नेता से लेकर फौज और पत्रकारों से लेकर आम आदमी को लग रहा था कि कहां भला नदियों का पानी रुकने वाला है, वर्षों लगेंगे, लेकिन बगलिहार बांध के जरिये जिस तरह से भारत ने पानी रोका है, पाकिस्तान में खलबली मचना स्वाभाविक है। पाकिस्तानी खालाएं पहले ही रोती- तड़पती पाकिस्तान गई हैं, वर्षों तक भारत में मुफ्त का अनाज तोड़ने के बाद, पता है कि पाकिस्तान में तो आटे के भी लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में हर पाकिस्तानी एक ही राग जप रहा है, न्यूक्लियर ताकत होने का। मजे की बात ये है कि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बार भी न्यूक्लियर हथियार से सज्ज होने की धमकी नहीं दी है, लेकिन डर के मारे अपना पाजामा गिला कर चुके पाकिस्तानी नेता और फौजी बार- बार राग न्यूक्लियर जप रहे हैं। उन्हें नरेंद्र मोदी का अंदाजा नहीं है, तड़पा- तड़पा कर पाकिस्तान और उसके हुक्मरानों को मार देंगे मोदी, क्योंकि उन्हें पता है कि लातों के भूत बातों से मानते नहीं। यही वजह है कि दिसंबर 2015 में खुद पाकिस्तान जाकर वहां के हालात का जायजा लेने के बाद मोदी ने समझ लिया कि उस देश से बातचीत का कोई मतलब ही नहीं है, जहां पर सत्ता की चाभी प्रधानमंत्री के पास नहीं, बल्कि फौजी हुक्मरानों के पास हो, जिन्हें अपना अस्तित्व टिकाये रखने का एकमात्र बहाना कश्मीर का राग अलापना और भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इसलिए मोदी सख्त हैं, पता है कि इस जहरीले सांप पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता, मौका लगते ही डसेगा, इसलिए इस बार पूरी तरह फन कुचलने की तैयारी है, रास्ता सिर्फ फौजी नहीं, आर्थिक, कूटनीतिक और राजनीतिक भी है। आतंकिस्तान को बर्बाद करने में कोई कोर- कसर नहीं रहेगी इस बार।
Brijesh Kumar Singh journalist
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