


शाहाबाद / शाहाबाद शहर की सड़कों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। अधिकांश मोहल्लों में नालियां पूरी तरह से गंदगी से भरी हुई हैं, जिससे गंदा पानी सड़कों पर बहता नजर आता है। बदबू और मच्छरों से नागरिकों का जीवन दुश्वार हो गया है। नगर के वार्डों में नियमित सफाई नहीं हो रही, जबकि सफाईकर्मियों की उपस्थिति दिखाने के लिए रजिस्टरों में फर्जी हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सफाई व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। नगर पालिका में बैठे अधिकारी और कर्मचारीगण केवल कागजों पर कार्य कर रहे हैं। सफाई अभियान की योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। लोगों का कहना है कि कई जगहों पर तो महीनों से कूड़ा नहीं उठाया गया है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
नगरवासियों ने कई बार पालिका प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर विरोध के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह विडंबना ही है कि जिस संस्था को देश के सर्वोच्च पद द्वारा सराहा गया था, वही संस्था आज अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है।
स्थानीय समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने इस पर गंभीर चिंता जताई है और शासन से मांग की है कि पूरे मामले की जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही शहर में सफाई व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जाए।
स्वच्छता केवल पुरस्कारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ी जिम्मेदारी है। शाहाबाद की जनता अब जवाब चाहती है—कब होगी शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त?
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