शाहाबाद /कस्बे के मोहल्ला दिलेरगंज स्थित मां कात्यायनी शक्तिपीठ में चल रहे आठ दिवसीय नवरात्रि महोत्सव में आयोजित श्री राम कथा के प्रवचन में सातवें दिवस अचार्य अनंत शरण ने कहा कि राम जन्म के कारणों में एक कारण नारद मोह भी है l नारद जी के इस चरित्र से ज्ञात होता है कि संत हर स्थिति में परमात्मा की ही शरण में रहता है। नारद जी पर जब काम का प्रभाव हुआ तो नारायण की शरण में जाकर उनसे ही रूप मांगा “आपन रूप देउ प्रभु मोही”। और काम की पूर्ति न होने पर क्रोध आया वो भी नारायण पर ही l
देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई।
जगत् मोरि उपहास कराई॥
एक और कथा राजा भानु प्रताप की है जो एकतनु नामक कपट मुनि के माया जाल में तृष्णा, चमत्कार के वशीभूत हो सम्पूर्ण वंश नष्ट हो गया।अतः उस समय एकतनु कपट मुनि, पाखंडी एक था और आज गली गली घूम रहे हैं इसलिए पाखंडी , चमत्कारी और आकांक्षाओं से दूर रहने में ही कुशलता है lपीठाधीश्वर स्वामी आत्मानंद गिरि ने कहा कि रामचरितमानस मानव मात्र के लिए एक ग्रंथ ही नहीं बल्कि एक जीवन जीने का विधान है।मानव जीवन में होने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण रामचरितमानस में विस्तार से वर्णित है।नवरात्रि में श्री रामकथा श्रवण से तन मन भक्तिमय रहता है।नवरात्रि का पर्व बिना हवन के पूर्ण नहीं होता।अष्टमी या नवमी पर मां दुर्गा की भक्ति पूर्ण करने के लिए हवन अवश्य करना चाहिए।इसके लिए शुद्ध मन से नौ देवियों के मंत्रों का उच्चारण कर घर पर बिना ब्राह्मण के स्वयं भी हवन संपन्न किया जा सकता है।भगवान केवल भक्त के भाव के भूखे होते हैं।इसलिए भावपूर्ण रूप से भगवान का भजन करना चाहिए।इस अवसर पर मदन राठौर, रामकुमार द्विवेदी, प्रेमशंकर गुप्ता, सत्यम् कश्यप, स्वीटी, गुड़िया, लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गावती एवं अरुण कुमार सपरिवार उपस्थित रहे।

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