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भारतीय लोकतंत्र की पाचन-शक्ति



दिल्ली/ ध्रुव राठी कहते हैं तानाशाही आ रही है। बैन होने से पहले मेरे सभी वीडियो देख लें और सब्सक्राइब करें। रवीश और अजित अंजुम कहते हैं कि बोलने की आज़ादी पर हमला हो रहा है। एक हम ही बचे हैं इसलिए हमें सब्सक्राइब कर लो। अभिसार से लेकर संजय शर्माओं की यही शिकायत है। ग्यारह साल से ये डर का माहौल बनाए हुए हैं।

लेकिन सरकार न बैन करती है, न रोकती है। वे बोलते ही जाते हैं। सरकार सुनती रहती है। न कभी किसी को रोका गया न इनके किसी वीडियो पर पाबंदी लगी। जो भी मन होता है, ये बोलते हैं। फैक्ट हो तो भी। न हो तो भी। ये लोग मिलकर कम से कम दो सौ चालीस बार वीडियो में सरकार गिरा चुके हैं। पर चलता है।

यही तो भारतीय लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है। इंदिरा इमरजेंसी को छोड़ दें तो भारतीय लोकतंत्र इतना उदार है कि क्या बताएँ कितना उदार है। मुझे तो ये उदारता शुभ लगती है।

आपको?

Credit dilip mandal

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